औद्योगिक विकास
प्रशंसा भरे स्वरों में कभी कार्लमार्क्स ने इन्हीं के विषय में लिखा था कि इन उपलब्धियों के सामने चीन की दीवार या पिरामिड जैसी मानव की प्राचीन उपलब्धियाँ नगण्य लगती हैं। उस समय औधोगिकरण ने पश्चिमी जगत् को इतना प्रभावित किया था कि वहाँ के पूँजीवादी और समाजवादी दोनों तरह के विचारकों के लिए यह औद्योगिक विकास ही समाज का गंतव्य निर्धारित करने वाला दिखाई देता था। इसकी मुलभुत विसंगतियों एवं अमानवीय चेहरे को सबसे पहले महात्मा गाँधी ने पहचाना, तभी उन्होंने इसे शैतानी कह डाला और सच भी यही है, यह विकास जहाँ भी गया, अपने साथ घोर विषमता के बीज भी साथ ले गया।
Karl Marx once wrote about these in admiring voices that in front of these achievements, ancient achievements of man like China's wall or pyramid seem insignificant. At that time, industrialization had affected the western world so much that for both the capitalist and socialist thinkers there, this industrial development appeared to be the destination of society. Mahatma Gandhi first recognized its fundamental anomalies and inhuman face, only then he called it satanic and the truth is this, wherever this development went, it also took with it the seeds of extreme inequality.
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यजुर्वेद के बाइसवें अध्याय के बाइसवें मन्त्र का भाष्य करते हुए महर्षि ने लिखा है कि विद्वानों को ईश्वर की प्रार्थना सहित ऐसा अनुष्ठान करना चाहिए कि जिससे पूर्णविद्या वाले शूरवीर मनुष्य तथा वैसे ही गुणवाली स्त्री, सुख देनेहारे पशु, सभ्य मनुष्य, चाही हुई वर्षा, मीठे फलों से युक्त अन्न और औषधि हों तथा कामना पूर्ण...