आत्मिक आनंद
विज्ञान का यह नियम है कि हर क्रिया के प्रति और विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है। अस्तु दान के रूप में हम जो भी खुशियाँ व आनंद दूसरों को देते हैं, वह आनंद और खुशियाँ कई गुना अधिक होकर हमें मिल जाती हैं। दान, परोपकार, त्याग आदि से मिलने वाले आत्मिक आनंद के पीछे भी यही कारण है। स्वस्थ, सभ्य व समृद्ध समाज के लिए भी लोगों में दान की वृत्ति का होना आवश्यक है। देने की प्रवृत्ति होने के कारण ही हम सेवा व सहयोग के लिए आगे आ पाते हैं।
It is the law of science that for every action there is a reaction in the opposite direction. Whatever happiness and joy we give to others in the form of charity, we get that joy and happiness manifold. This is also the reason behind the spiritual bliss that comes from charity, charity, sacrifice etc. For a healthy, civilized and prosperous society, it is necessary for people to have the attitude of charity. Due to the tendency to give, we are able to come forward for service and cooperation.
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यजुर्वेद के बाइसवें अध्याय के बाइसवें मन्त्र का भाष्य करते हुए महर्षि ने लिखा है कि विद्वानों को ईश्वर की प्रार्थना सहित ऐसा अनुष्ठान करना चाहिए कि जिससे पूर्णविद्या वाले शूरवीर मनुष्य तथा वैसे ही गुणवाली स्त्री, सुख देनेहारे पशु, सभ्य मनुष्य, चाही हुई वर्षा, मीठे फलों से युक्त अन्न और औषधि हों तथा कामना पूर्ण...