उपवास
उपवास 'युक्ति युक्त' होना चाहिए। जब हम फल खाते हैं तो फलाहार कहलाता है, उपवास नहीं। जब जूस पीते है तो रसाहार कहलाता है, जब दूध पीते हैं, तो दुग्धाहार कहलाता है। उपवास का अर्थ जलोपवास होता है। जिसमें पाचनक्रिया को पूर्ण विश्राम मिले तथा जो शक्ति पचाने में लगती थी, वह शक्ति रोगों से लड़ने, विकारों को शरीर से बाहर निकालने तथा नए कोशों का निर्माण मरम्मत करने, जीवनशक्ति बढ़ाने तथा शरीर में जमा अनावश्यक चरबी को जलाकर ऊर्जा में परिवर्तित करने का कार्य करती है। उपवास से शरीर स्वयं ही रोग दूर कर लेता है।
Fasting - Fasting should be 'devoted'. When we eat fruits it is called fruit diet, not fasting. When we drink juice, it is called Rasahara, when we drink milk, it is called milk. Fasting means fasting. In which the digestive system gets complete rest and the energy which was used to digest, that power to fight diseases, remove disorders from the body and repair new cells, increase vitality and convert unnecessary fat stored in the body into energy by burning does. By fasting the body itself cures the disease.
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यजुर्वेद के बाइसवें अध्याय के बाइसवें मन्त्र का भाष्य करते हुए महर्षि ने लिखा है कि विद्वानों को ईश्वर की प्रार्थना सहित ऐसा अनुष्ठान करना चाहिए कि जिससे पूर्णविद्या वाले शूरवीर मनुष्य तथा वैसे ही गुणवाली स्त्री, सुख देनेहारे पशु, सभ्य मनुष्य, चाही हुई वर्षा, मीठे फलों से युक्त अन्न और औषधि हों तथा कामना पूर्ण...