यजुर्वेद के बाइसवें अध्याय के बाइसवें मन्त्र का भाष्य करते हुए महर्षि ने लिखा है कि विद्वानों को ईश्वर की प्रार्थना सहित ऐसा अनुष्ठान करना चाहिए कि जिससे पूर्णविद्या वाले शूरवीर मनुष्य तथा वैसे ही गुणवाली स्त्री, सुख देनेहारे पशु, सभ्य मनुष्य, चाही हुई वर्षा, मीठे फलों से युक्त अन्न और औषधि हों तथा कामना पूर्ण हो।
इसी प्रकार यजुर्वेद के बाइसवें अध्याय के ही पच्चीसवें मन्त्र के भाष्य में लिखा कि जो मनुष्य आग में सुगन्धि आदि पदार्थों को होमें व जल आदि पदार्थों की शुद्धि करने हारे हो, वे पुण्यात्मा होते हैं और जल की शुद्धि से ही सब पदार्थों की शुद्धि होती है, यह जानना चाहिए।
While commenting on the twenty-second mantra of the twenty-second chapter of Yajurveda, Maharishi has written that the scholars should perform such rituals along with the prayers to God, which will ensure that a brave man with complete knowledge and a woman of similar qualities, animals giving pleasure, civilized human beings, desired rain, sweets etc. There should be food and medicines with fruits and the wishes should be fulfilled.
Purification of Substances through Yagya | Competition | Arya Samaj Marriage Jaipur | Marriage Booking Jaipur | Vastu Correction Without Demolition Jaipur | Arya Samaj Mandir Shadi Jaipur | Arya Samaj Pandits for Pooja Jaipur | All India Arya Samaj Jaipur | Gayatri Marriage Jaipur | Marriage by Arya Samaj Jaipur | Arya Samaj Jaipur | Arya Samaj Marriage Booking Jaipur
यजुर्वेद के बाइसवें अध्याय के बाइसवें मन्त्र का भाष्य करते हुए महर्षि ने लिखा है कि विद्वानों को ईश्वर की प्रार्थना सहित ऐसा अनुष्ठान करना चाहिए कि जिससे पूर्णविद्या वाले शूरवीर मनुष्य तथा वैसे ही गुणवाली स्त्री, सुख देनेहारे पशु, सभ्य मनुष्य, चाही हुई वर्षा, मीठे फलों से युक्त अन्न और औषधि हों तथा कामना पूर्ण...