बुराई करने की आदत यदि हमारे जीवन में शामिल है तो यह हमारे व्यक्तित्व का नकारात्मक पहलू है, जो हमारे विकास में हमेशा बाधक है। इसके कारण हम अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं और संसार के दोष ही देते रहते हैं, अच्छाइयाँ नहीं देख पाते। आर्यसमाज विवाह हेतु आवश्यक दस्तावेज एवं जानकारी आर्य समाज विवाह करने हेतु समस्त जानकारियां फोन द्वारा प्राप्त की जा सकती है। विवाह सम्बन्धी किसी भी प्रकार की जानकारी या पूछताछ के लिए आप मोबाइल- 08120018052 पर (समय - प्रातः 10 बजे से सायं 8 बजे तक) श्री देव शास्त्री से बेहिचक बात कर समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा आपको जिस दिन विवाह करना हो उस मनचाहे दिन की बुकिंग आप फोन पर करा सकते हैं। फोन द्वारा बुकिंग करने के लिए वर-वधू का नाम पता और विवाह की निर्धारित तिथि बताना आवश्यक होगा अथवा आप ऑनलाइन बुकिंग भी कर सकते हैं। सामान्य रूप से विवाह संस्कार जयपुर स्थित आर्य समाज विवाह सहायता द्वारा संचालित आर्यसमाज मन्दिर में सादगीपूर्ण एवं आडम्बर रहित तरीके से वैदिक विधि पूर्वक सम्पन्न किया जाता है। परन्तु वर-वधु या परिवारजनों की इच्छानुसार घर अथवा होटल या धर्मशाला में भी आपके निर्धारित स्थान पर हमारे विद्वान पण्डित द्वारा पहुँचकर वैदिक विधि विधान से विवाह संस्कार सम्पन्न किया जा सकता है। जयपुर सहित पूरे भारत में आपकी इच्छानुसार हमारे पण्डित कहीं भी पहुँचकर वैदिक विवाह संस्कार सम्पन्न करवा सकते है। क्योंकि अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट कार्यक्षेत्र समस्त भारत है, जो शासन द्वारा सत्यापित है। आर्यसमाज में सम्पन्न होने वाले विवाह "आर्य विवाह मान्यता अधिनियम-1937, अधिनियम क्रमांक 1937 का 19' के अन्तर्गत कानूनी मान्यता प्राप्त हैं।अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट द्वारा वैवाहिक जोड़ों की कानूनी सुरक्षा (Legal Sefety) एवं पुलिस संरक्षण (Police Protection) हेतु नियमित मार्गदर्शन (Legal Advice) दिया जाता है। "आर्य समाज विवाह सहायता जयपुर" और Arya Samaj Marriage Helpline अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट द्वारा संचालित हैं। पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट एक सामाजिक-शैक्षणिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। "आर्य समाज विवाह सहायता" जयपुर में ट्रस्ट द्वारा संचालित एकमात्र अधिकृत (authorized & Legal) आर्यसमाज मन्दिर है। जयपुर में इसके अतिरिक्त ट्रस्ट का अन्य कोई मन्दिर या शाखा अथवा केन्द्र नहीं है। विवाह कराने से पूर्व आप यह सुनिश्चित कर लें कि आप शासन (सरकार) द्वारा आर्यसमाज विवाह कराने हेतु मान्य अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित आर्यसमाज केन्द्र से ही सम्पर्क कर रहे हैं। आर्यसमाज होने का दावा करने वाले किसी बड़े हॉल या भवन अथवा मन्दिर या चमकदार ऑफिस को देखकर भ्रमित और गुमराह ना हों। विशेष सूचना- Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से इण्टरनेट पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्र्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह शासन द्वारा मान्य एवं लिखित अनुमति प्राप्त वैधानिक है अथवा नहीं। इसके लिए सम्बन्धित संस्था को शासन द्वारा प्रदत्त आर्य समाज विधि से अन्तरजातीय आदर्श विवाह करा सकने हेतु लिखित अनुमति अवश्य देख लें, ताकि आपके साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी ना हो। युगलों की सुरक्षा- प्रेमी युगलों की सुरक्षा एवं गोपनीयता की गम्भीरता को ध्यान में रखते हुए तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रेमी युगलों की सुरक्षा सम्बन्धी दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुपालन के अनुक्रम में हमारे आर्य समाज द्वारा विवाह के पूर्व या पश्चात वर एवं वधू की गोपनीयता एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विवाह से सम्बन्धित कोई भी काग़जात, सूचना या जानकारी वर अथवा वधू के घर या उनके माता-पिता को नहीं भेजी जाती है, जिससे हमारे मन्दिर में विवाह करने वाले युगलों की पहचान को गोपनीय बनाये रखा जा सके, ताकि उनके जीवन की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न न हो सके। 1. वर-वधु दोनों हिन्दू-जैन-बौद्ध या सिक्ख होने चाहिएं। 2. वर-वधु दोनों के जन्म प्रमाण हेतु हाई स्कूल की अंकसूची या कोई शासकीय दस्तावेज तथा पहचान हेतु मतदाता परिचय पत्र या आधार कार्ड अथवा पासपोर्ट या अन्य कोई शासकीय दस्तावेज चाहिए। विवाह हेतु वर की अवस्था 21 वर्ष से अधिक तथा वधु की अवस्था 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। 3. वर-वधु दोनों को निर्धारित प्रारूप में ट्रस्ट द्वारा नियुक्त नोटरी द्वारा सत्यापित शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा। किसी अन्य नोटरी से सत्यापित शपथ पत्र स्वीकार नहीं किये जावेंगे। 4. वर-वधु दोनों की अलग-अलग पासपोर्ट साईज की 6-6 फोटो। 5. दोनों पक्षों से दो-दो मिलाकर कुल चार गवाह, परिचय-पहचान पत्र सहित। गवाहों की अवस्था 21 वर्ष से अधिक हो तथा वे हिन्दू-जैन-बौद्ध या सिक्ख होने चाहिएं। 6. विधवा/विधुर होने की स्थिति में पति/पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र तथा तलाकशुदा होने की स्थिति में तलाकनामा (डिक्री) आवश्यक है। 7. वर-वधु का परस्पर गोत्र अलग-अलग होना चाहिए तथा हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार कोई निषिद्ध रिश्तेदारी नहीं होनी चाहिए। अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें - क्षेत्रीय सहायता जयपुर राजस्थान क्षेत्रीय सहायता जोधपुर राजस्थान राष्ट्रीय प्रशासनिक मुख्यालय ----------------------------------------------------------- Regional Helpline Jaipur Rajasthan Regional Helpline Jodhpur Rajasthan National Administrative Office
(समय - प्रातः 10 बजे से सायं 8 बजे तक)
सम्पर्क : 8120018052
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अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
आर्य समाज मन्दिर, दिव्ययुग परिसर
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इन्दौर (मध्य प्रदेश) 452009
फोन : 0731-2489383, 8989738486
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Mob.: 08120018052
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Divyayug Campus, 90 Bank Colony
Annapurna Road, Indore (M.P.) 452009
Tel. : 0731-2489383, 8989738486
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If the habit of doing evil is included in our life then it is a negative aspect of our personality, which always hinders our development. Due to this, we deviate from our goal and keep blaming the world, we are not able to see the good.
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हम सभी स्वेच्छा से या दूसरों को देखकर या आदतवश दूसरों की बुराई करना सीख जाते हैं। दूसरों की कमियों को देखना, उनकी गलतियाँ ढूँढना, दूसरों को निचा दिखाने की कोशिश करना- ये सब हमारी अदताओं में शामिल हो जाता है और यह हमारे व्यक्तित्व के विकास में बहुत बाधक सिद्ध होता है।
We all voluntarily or by observing others or habitually learn to do evil to others. Seeing the shortcomings of others, finding their faults, trying to humiliate others - all these add to our habits and it proves to be a great hindrance in the development of our personality.
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यजुर्वेद के बाइसवें अध्याय के बाइसवें मन्त्र का भाष्य करते हुए महर्षि ने लिखा है कि विद्वानों को ईश्वर की प्रार्थना सहित ऐसा अनुष्ठान करना चाहिए कि जिससे पूर्णविद्या वाले शूरवीर मनुष्य तथा वैसे ही गुणवाली स्त्री, सुख देनेहारे पशु, सभ्य मनुष्य, चाही हुई वर्षा, मीठे फलों से युक्त अन्न और औषधि हों तथा कामना पूर्ण...