जिम्मेदारियाँ
पति का दरजा बड़ा सिद्ध करने के लिए दी जाने वाली तमाम दलीलें थोथी हैं। मूल बात है-पति की अहं भावना, पुरुष का दर्प; जिसके कारण वह अपनी धर्मपत्नी से साथी के समान व्यवहार नहीं कर पाता और न ही उसे इस योग्य समझता है। इसके दुष्परिणाम व्यक्तिगत रूप से ही नहीं, पारिवारिक और सामाजिक संदर्भों में भी हानिकारक होते हैं। परिवारों में बच्चों के व्यक्तित्व पर प्रारंभ से ही वहाँ समुचित ध्यान दे पाना कठिन हो जाता है, जहाँ माताएँ अनपढ़ और अशिक्षित हैं। समाज की आधी जनसंख्या को शेष आधे भाग का बोझ अपने कंधों पर ढोकर इसलिए खींचना पड़ता है कि लड़कियाँ इस योग्य नहीं होतीं कि वे अपनी जिम्मेदारियाँ खुद पूरी कर सकें।
All the arguments given to prove the status of the husband are big. The main thing is the ego of the husband, the pride of the man; Because of which he is not able to treat his wife like a partner, nor does he consider her worthy. Its side effects are harmful not only personally, but also in family and social contexts. It becomes difficult to pay proper attention to the personality of the children from the very beginning in the families where the mothers are illiterate and uneducated. Half of the population of the society has to carry the burden of the remaining half on their shoulders because girls are not able to fulfill their responsibilities themselves.
Responsibilities | Arya Samaj Marriage Jaipur 8989738486 | Arya Samaj Jaipur | Arya Samaj Marriage Pandits Jaipur | Arya Samaj Vivah Pooja Jaipur | Inter Caste Marriage helpline Conductor Jaipur | Official Web Portal of Arya Samaj Jaipur | Arya Samaj Intercaste Matrimony Jaipur | Arya Samaj Marriage Procedure Jaipur | Arya Samaj Vivah Poojan Vidhi Jaipur Rajasthan | Marriage Service by Arya Samaj Mandir Jaipur | Arya Samaj Marriage Helpline Jaipur | Arya Samaj Vivah Lagan Jaipur | Arya Samaj Vivah Mandap Jaipur | Inter Caste Marriage Helpline Jaipur | Marriage Service in Arya Samaj Mandir Jaipur | Arya Samaj Intercaste Marriage Jaipur | Inter Caste Marriage Consultant Jaipur | Marriage Service in Arya Samaj Jaipur | Arya Samaj Inter Caste Marriage Jaipur Rajasthan
यजुर्वेद के बाइसवें अध्याय के बाइसवें मन्त्र का भाष्य करते हुए महर्षि ने लिखा है कि विद्वानों को ईश्वर की प्रार्थना सहित ऐसा अनुष्ठान करना चाहिए कि जिससे पूर्णविद्या वाले शूरवीर मनुष्य तथा वैसे ही गुणवाली स्त्री, सुख देनेहारे पशु, सभ्य मनुष्य, चाही हुई वर्षा, मीठे फलों से युक्त अन्न और औषधि हों तथा कामना पूर्ण...